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Showing posts from February, 2025

बजट 2025 - एक्सपर्ट एनालिसिस: 12.75 लाख तक की कमाई टैक्स-फ्री, लेकिन शर्तें लागू By Sudhakar Kumar, Advocate Patna High Court & Financial Analyst

 परिचय भारत सरकार ने बजट 2025 पेश करते हुए आम जनता और टैक्सपेयर्स के लिए कुछ बड़े ऐलान किए हैं। सबसे बड़ा आकर्षण 12.75 लाख रुपये तक की आय को टैक्स-फ्री करने का फैसला है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण शर्तें भी लागू की गई हैं। इस ब्लॉग में हम बजट 2025 का विश्लेषण करेंगे और जानेंगे कि यह आम आदमी, व्यापारियों, और निवेशकों के लिए कितना फायदेमंद है। मुख्य आकर्षण: 12.75 लाख रुपये तक की आय टैक्स-फ्री सरकार ने बजट 2025 में आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 12.75 लाख रुपये तक कर दिया है, लेकिन इसमें कुछ विशेष शर्तें लागू हैं: बजट 2025 में सरकार ने मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए नई कर व्यवस्था (न्यू टैक्स रिजीम) के तहत वार्षिक आयकर स्लैब में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब 12.75 लाख रुपये तक की वार्षिक आय टैक्स-फ्री होगी, लेकिन यह कुछ शर्तों के साथ लागू है। नई आयकर स्लैब: 12.75 लाख रुपये तक की आय टैक्स-फ्री कैसे? यदि आपकी वार्षिक आय 12.75 लाख रुपये है, तो नई कर स्लैब के अनुसार कर की गणना इस प्रकार होगी: 4 लाख रुपये तक की आय पर: कोई कर नहीं। अगले 4 लाख रुपये (4,00,001 - 8,00,000) पर 5% की दर से: 20,000 रुप...

न्याय की उम्मीद: वित्तीय संकट और ऋण निपटान के कानूनी रास्ते ------------ सुधाकर कुमार, एडवोकेट, पटना हाई कोर्ट

परिचय आज के समय में वित्तीय समस्याएं आम हैं, लेकिन जब कोई व्यक्ति ईएमआई नहीं चुका पाता, तो बैंकों की कार्रवाई उसके परिवार को बेघर कर देती है। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है, जब परिवार में 80+ उम्र के बुजुर्ग, नाबालिग बच्चे और महिलाएं हों। ऐसे में, " वन टाइम सेटलमेंट" (OTS)  और कानूनी प्रावधान ही न्याय का आधार बन सकते हैं।   एनपीए (NPA) क्या है?   जब कोई ऋण 90 दिनों तक चुकाया न जाए, तो उसे नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA)  घोषित कर दिया जाता है। इस स्थिति में बैंक संपत्ति जब्त कर सकते हैं, लेकिन SARFAESI एक्ट, 2002  की धारा 13(3A) के तहत उधारकर्ता को बैंक के ग्रीवेंस अधिकारी से शिकायत करने का अधिकार है।   कानूनी संरक्षण और समाधान   1. RBI का OTS दिशानिर्देश  :      आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे वित्तीय संकट में फंसे उधारकर्ताओं के साथ वन टाइम सेटलमेंट  का विकल्प दें। यह सेटलमेंट किश्तों में भी हो सकता है। उधारकर्ता को बैंक प्रबंधन को अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए OTS का प्रस्ताव देना चाहिए। ...