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बजट 2025 - एक्सपर्ट एनालिसिस: 12.75 लाख तक की कमाई टैक्स-फ्री, लेकिन शर्तें लागू By Sudhakar Kumar, Advocate Patna High Court & Financial Analyst

 परिचय भारत सरकार ने बजट 2025 पेश करते हुए आम जनता और टैक्सपेयर्स के लिए कुछ बड़े ऐलान किए हैं। सबसे बड़ा आकर्षण 12.75 लाख रुपये तक की आय को टैक्स-फ्री करने का फैसला है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण शर्तें भी लागू की गई हैं। इस ब्लॉग में हम बजट 2025 का विश्लेषण करेंगे और जानेंगे कि यह आम आदमी, व्यापारियों, और निवेशकों के लिए कितना फायदेमंद है। मुख्य आकर्षण: 12.75 लाख रुपये तक की आय टैक्स-फ्री सरकार ने बजट 2025 में आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 12.75 लाख रुपये तक कर दिया है, लेकिन इसमें कुछ विशेष शर्तें लागू हैं: बजट 2025 में सरकार ने मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए नई कर व्यवस्था (न्यू टैक्स रिजीम) के तहत वार्षिक आयकर स्लैब में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब 12.75 लाख रुपये तक की वार्षिक आय टैक्स-फ्री होगी, लेकिन यह कुछ शर्तों के साथ लागू है। नई आयकर स्लैब: 12.75 लाख रुपये तक की आय टैक्स-फ्री कैसे? यदि आपकी वार्षिक आय 12.75 लाख रुपये है, तो नई कर स्लैब के अनुसार कर की गणना इस प्रकार होगी: 4 लाख रुपये तक की आय पर: कोई कर नहीं। अगले 4 लाख रुपये (4,00,001 - 8,00,000) पर 5% की दर से: 20,000 रुप...

न्याय की उम्मीद: वित्तीय संकट और ऋण निपटान के कानूनी रास्ते ------------ सुधाकर कुमार, एडवोकेट, पटना हाई कोर्ट

परिचय आज के समय में वित्तीय समस्याएं आम हैं, लेकिन जब कोई व्यक्ति ईएमआई नहीं चुका पाता, तो बैंकों की कार्रवाई उसके परिवार को बेघर कर देती है। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है, जब परिवार में 80+ उम्र के बुजुर्ग, नाबालिग बच्चे और महिलाएं हों। ऐसे में, " वन टाइम सेटलमेंट" (OTS)  और कानूनी प्रावधान ही न्याय का आधार बन सकते हैं।   एनपीए (NPA) क्या है?   जब कोई ऋण 90 दिनों तक चुकाया न जाए, तो उसे नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA)  घोषित कर दिया जाता है। इस स्थिति में बैंक संपत्ति जब्त कर सकते हैं, लेकिन SARFAESI एक्ट, 2002  की धारा 13(3A) के तहत उधारकर्ता को बैंक के ग्रीवेंस अधिकारी से शिकायत करने का अधिकार है।   कानूनी संरक्षण और समाधान   1. RBI का OTS दिशानिर्देश  :      आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे वित्तीय संकट में फंसे उधारकर्ताओं के साथ वन टाइम सेटलमेंट  का विकल्प दें। यह सेटलमेंट किश्तों में भी हो सकता है। उधारकर्ता को बैंक प्रबंधन को अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए OTS का प्रस्ताव देना चाहिए। ...

A Step-by-Step Guide to Company Registration in India

Starting a business in India is an exciting journey, but it begins with a crucial step: company registration. Registering your company not only legitimizes your business but also provides legal protection, access to funding, and credibility in the market. In this blog, we’ll walk you through the step-by-step process of company registration in India. Step 1: Decide on the Type of Company Before registering, you need to decide the type of company you want to establish. The most common types of business entities in India are: 1. Private Limited Company (Pvt Ltd) : Ideal for startups and small to medium-sized businesses. 2. Limited Liability Partnership (LLP) : Combines the benefits of a partnership and a company. 3. One Person Company (OPC) : Suitable for solo entrepreneurs. 4. Public Limited Company : For large-scale businesses planning to raise capital from the public. 5. Partnership Firm : For businesses with two or more partners. 6. Sole Proprietorship : For individual en...

GST रिटर्न देर से दाखिल करने पर जुर्माना: जानें पूरी जानकारीलेखक: सुधाकर कुमार, एडवोकेट, पटना हाई कोर्ट #IndianLawGuru

GST रिटर्न फाइल करने में देरी: क्या है समस्या? वस्तु एवं सेवा कर (#GST) के तहत हर पंजीकृत करदाता को समय पर GST रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है। यदि रिटर्न समय पर दाखिल नहीं किया गया, तो सरकार द्वारा जुर्माने और ब्याज का प्रावधान किया गया है। यह लेख उन सभी करदाताओं के लिए है जो GST रिटर्न देर से दाखिल करने के दंड और उससे बचने के उपाय जानना चाहते हैं। GST रिटर्न लेट फाइल करने पर क्या होता है? GST कानून के अनुसार, देरी से रिटर्न दाखिल करने पर दो प्रकार के चार्ज लगते हैं: 1. लेट फीस (#LateFees) 2. ब्याज (#Interest) 1. लेट फीस का प्रावधान लेट फीस वह राशि है जो आपको रिटर्न फाइल करने में देरी के लिए सरकार को चुकानी पड़ती है। यह जुर्माना CGST और SGST दोनों के लिए लागू होता है। सामान्य रिटर्न (GSTR-1, GSTR-3B): ₹50 प्रति दिन (₹25 CGST और ₹25 SGST)। शून्य रिटर्न (Nil Return): ₹20 प्रति दिन (₹10 CGST और ₹10 SGST)। उदाहरण: यदि आपने जुलाई 2024 का GSTR-3B रिटर्न 10 दिन देरी से फाइल किया, तो लेट फीस होगी: ₹50 × 10 दिन = ₹500। 2. ब्याज का प्रावधान यदि आपकी देय GST राशि समय पर जमा नहीं हुई है,...

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आपका व्यवसाय बढ़ाने और व्हाट्सएप मार्केटिंग को आसान बनाने के लिए WA Sender Software का उपयोग करें। सीमित समय के इस ऑफर का लाभ उठाएं और सिर्फ ₹79 में इसे खरीदें। खरीदने का लिंक: यहां क्लिक करें और अभी खरीदें --- WA Sender Software की सफलता की कहानी आज के डिजिटल युग में, व्हाट्सएप मार्केटिंग हर व्यवसाय के लिए एक अनिवार्य टूल बन गया है। छोटे व्यापारियों से लेकर बड़े उद्यमों तक, सभी को एक ऐसा सॉल्यूशन चाहिए, जिससे वे अपने ग्राहकों तक तेजी से पहुंच सकें। यहीं पर WA Sender Software ने बड़ी भूमिका निभाई है। क्या है WA Sender Software? यह एक आसान और उपयोगी टूल है जो आपको एक ही क्लिक में सैकड़ों ग्राहकों को मैसेज भेजने की सुविधा देता है। इसका उपयोग: 1. प्रमोशन के लिए 2. ग्राहकों की जानकारी शेयर करने के लिए 3. प्रोडक्ट डिटेल्स भेजने के लिए 4. और भी बहुत कुछ --- सॉफ्टवेयर का उपयोग कैसे करें? (स्टेप-बाय-स्टेप गाइड) 1. सॉफ्टवेयर डाउनलोड करें: खरीदने के बाद आपको सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने का लिंक प्राप्त होगा। 2. इंस्टॉलेशन: सॉफ्टवेयर को अपने कंप्यूटर या लैपटॉप पर इंस्टॉल करें। 3. WhatsApp W...

Calcutta High Court Orders Compensation in Contaminated Saline Case: A Reflection

In a landmark judgment, the Calcutta High Court directed the State of West Bengal to provide compensation to the family of a pregnant woman who tragically lost her life due to contaminated saline at a government hospital. This case not only highlights grave lapses in healthcare but also emphasizes the judiciary's role in upholding citizens' rights to health and life under Article 21 of the Constitution. The Incident and Its Aftermath The incident occurred at a government hospital where contaminated saline was administered, leading to the untimely death of a pregnant woman. Following the tragedy, an investigation revealed significant negligence in the procurement and quality checks of medical supplies. This incident shook public confidence in the state’s healthcare system, sparking widespread outrage and legal action. The Calcutta High Court, in its judgment, noted the State's duty to ensure safe and adequate healthcare for its citizens. Recognizing the family's sufferin...